बुद्ध पूर्णिमा महात्मा बुद्ध के जन्म के तौर पर मनाई जाती है | इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 12 मई 2025 को मनाई जाएगी

जन्म

बोध धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईस्वी पूर्व में कपिलवस्तु के निकट लुबिनी नामक वन में हुआ, जो भारत और नेपाल की सीमा पर है।

पिता

 इनके पिता का नाम  शुद्धोधन  शाक्य कुल के राजा थे

माता

 माता महामाया जो कोलिय वंश से थे

लालन-पालन

 महाप्रजापति  गौतमी ने किया जिसके कारण इन्हें गौतम बुद्ध के भी कहा जाता है महाप्रजापति गौतमी जो महामाया की बहन थी

विवाह

यशोधरा जिनसे पुत्र की प्राप्ति हुई, जिनका नाम राहुल था। 

बुद्ध के जीवन की कहानी

बुद्ध के जन्म पर ज्योतिषी कालदेव और कोडिन्य ने यह मत दिया कि बुद्ध या तो चक्रवर्ती सम्राट होंगे या संसार का त्याग कर एक संन्यासी होंगे।राजा सुध्दान ने गौतम बुद्ध को अत्यंत भोग विलास में रखा क्योंकि वे चाहते थे कि बुद्ध संसार का त्याग न करें। वो कहते हैं ना, जो ईश्वर को मंजूर होता है वह होकर ही रहता है।ऐसा ही महात्मा बुद्ध के साथ हुआ |

बोध साहित्य में चार घटनाओं का उल्लेख मिलता है जिनका बुद्ध के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा, जो इस प्रकार हैं: वृद्ध व्यक्ति, पीड़ित रोगी, मृतक और खुश साधु।बुद्ध ने जीवन के मोह-माया रूपी तंत्र को त्याग करने का निर्णय ले लिया।

गृह त्याग

जिसे बौद्ध साहित्य में महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है, बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में संसार का दुःख त्याग कर ज्ञान की खोज में निकल पड़े और घर-बार सब कुछ छोड़ दिया

ज्ञान की खोज

संन्यास धारण के पश्चात गौतम बुद्ध वेशाली के आलार कलाम नामक तपस्वी के आश्रय में पहुँचे लेकिन उन्हें  संतोष की प्राप्ति न हो सकी।गौतम बुद्ध बहुत जगह का भ्रमण किया लेकिन उनको सही रास्ता नहीं मिल सका |

सिद्धार्थ, यानी बुद्ध, ने निरजना नदी के तट पर वृक्ष के नीचे बैठकर तपश्चय करने का निश्चय किया मज्झिमनिकाय या ललित विस्तार में इसका वर्णन किया गया है| लेकिन कठिन तपस्या से भी ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकी।बुद्ध के शरीर दुर्बल होकर कंकाल मात्र रह गया था |

मज्झिमनिकाय मैं गोतम खुद कहते हैं कि ”मेरा कंधा ऐसा हो गया मानो जैसे ऊंट को पैर हो”, ”मेरी सर की खाल पिचक कर ऐसी हो गई हो जैसे धूप में मुरझाया हुआ लोको हो”,”यदि पेट पकड़ता तो पसलियाँ हाथ में आ जाती”, ”यदि उठता तो चकर आकर गिर जाता” |लेकिन इस कार्य से मैंने धर्म नहीं पाया |

बुद्ध ने बोधिसत्व सुजाता से खीर खाकर अनाहार का त्याग कर दिया और अपने शरीर  को दृढ़ बनाकर साधना के मार्ग को बदल देने का निश्चय किया।बोधिसत्व के पांच ब्रह्मण साथियों ने उन्हें पथ भ्रष्ट समझकर उनको छोड़ दिया |

ज्ञान की प्राप्ति

बोध धर्म में इसको संबोधी कहा जाता है | अब वो गया, आ गए उन्होंने बोधी वृक्ष के नीचे आसन लगाकर दृढ़ निश्चय किया कि बोधि प्राप्त किए बिना आसन नहीं छोड़ेंगे। अनेक  पेसाचिक तृष्णओ ने ध्यान भंग करने का प्रयास किया, लेकिन गौतम बुद्ध की समाधि भंग नहीं कर सके।सात दिन तक तपस्या में लीन रहने के बाद आठवें दिन वेसाख पूर्णिमा के दिन ज्ञान (बोधि) की प्राप्ति हो गई।

बोधि प्राप्ति के बाद उन्होंने सर्वप्रथम तपस्स और भल्लिक नामक शुद्र व्यापारियों को उपदेश देकर बौद्ध धर्म का पहले अनुयायी बनाया।

धर्म-चक्र-प्रवर्तन

महात्मा बुद्ध ने अपने पुराने पांच ब्रह्मण साथियों कोडिन्या, व्वाप, भद्रिक, महानाम, सुजत को वाराणसी के सारनाथ में पहला धर्मोपदेश देकर धर्म-चक्र-प्रवर्तन किया |

संघ की स्थापना

सारनाथ में बुद्ध ने संघ की स्थापना की। पाँच ब्राह्मण और काशी के श्रेष्टि वर्ग संघ के सदस्य बने।मगध के राजा बिम्बसार ने संघ को वेनुवन नामक विहार उपहार में दिया।अजातशत्रु प्रारंभ में बुद्ध के अनुकूल नहीं था, किंतु बाद में श्रमणफलसूत्र सुनकर उसका मन बदल गया।

वैसाली में पहली बार महिलाओं को संघ में शामिल किया गया यहाँ अमरावती ने बुद्ध के शिष्यता ग्रहण की ओर उनको उपहार भेंट के स्वरूप अम्रवाटिका दी। संघ में सर्वप्रथम शामिल होने वाली महिला महाप्रजापति गौतमी थी

महापरिनिर्वाण

महात्मा बुद्ध अब पाव पहुँचें जहाँ उन्होंने चंद्र कुमारपुल का आतिथ्य स्वीकार किया।यहाँ उन्होंने जंगली भड़फोड़ खाने से रक्तिसार हो गया |बीमार अवस्था में भी कुशीनगर की ओर रवाना हो गए वहां पहुंचकर आपने अंतिम उपदेश सुभद्र को दिया |उनके शरीर का अग्निदाह किया गया और उनके अवशेषों को आठ भागों में बांट दिया गया |जिन पर आज के समय में स्त्तूप बने हुए हैं

 

 

 

बौद्ध संगीतिवर्षस्थान /अध्यक्षशासक
प्रथम बौद्ध483 ईसा पूर्वराजगृह (महाकस्सप )अजातशत्रु(हर्यक वंश)
द्वित्तीय बौद्ध383 ईसा पूर्ववैशाली ( सब्ब्कामि )कालाशोक (शिशुनाग वंश )
तृतीय बौद्ध251 ईसा पूर्वपाटलिपुत्र (मोग्गलिपुत्त तिस्स )अशोक (मौर्य वंश)
चतुर्थ बौद्धप्रथम शताब्दीकुण्डलवन (कश्मीर) (वसुमित्र उपाध्यक्ष -अश्वघोष )कनिष्क (कुषाण वंश)

One response to “Buddha Purnima in India 2025”

  1. Çatalca su kaçak tespiti Avatar

    Çatalca su kaçak tespiti Ekibin bilgisi ve tecrübesi gerçekten etkileyici. https://socialwin.wiki/?p=8031

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